वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:- इसके लिए जरूरी है कि रिक्त पद तेजी से भरे जाएं। काडर का पुनर्गठन हो। निष्प्रयोज्य पद खत्म किए जाएं और आवश्यकतानुसार नए पद बढ़ाए जाएं। कर्मचारियों को पदोन्नति समय से मिले, ताकि वे उत्साह से काम कर सकें।
यूपी सरकार का जोर है कि सरकारी काम तय समय में और पूरी पारदर्शिता के साथ हों। फाइलें तीन दिन में निस्तारित की जाएं। इसके लिए जरूरी है कि रिक्त पद तेजी से भरे जाएं। काडर का पुनर्गठन हो। निष्प्रयोज्य पद खत्म किए जाएं और आवश्यकतानुसार नए पद बढ़ाए जाएं। कर्मचारियों को पदोन्नति समय से मिले, ताकि वे उत्साह से काम कर सकें। ये सभी काम विभागाध्यक्षों के निर्देशन में होते हैं। लेकिन, कई विभागों में काफी दिनों से ये पद ही रिक्त चल रहे हैं और अतिरिक्त प्रभार के हवाले हैं। कुछ जगह पदोन्नति का इंतजार है। ऐसा तब है जब जरूरत होने पर पदोन्नति के लिए शर्तों में शिथिलता के भी निर्देश हैं। इन पदों पर तैनाती न होने के पीछे तरह-तरह के किस्से विभागों में चर्चा का विषय हैं।
जानकार बताते हैं कि किसी विभाग में जिस अफसर की पदोन्नति की बारी है, वह विभागीय मंत्री का पसंद नहीं है। किसी को मंत्री चाहते हैं तो वह शासन के अफसरों का पसंद नहीं है। वरिष्ठता व कार्यदक्षता के पैमाने के बीच फाइलें थम गई हैं। इसी तरह कहीं चहेते अफसर को मुखिया की जिम्मेदारी देने के लिए वरिष्ठतम दावेदार के सेवानिवृत्त किए जाने की प्रतीक्षा हो रही है। एक विभाग में जिसे मुखिया बनाने की योजना है, वह जांच का सामना कर रहा है। उसे राहत मिलने के इंतजार में फाइल दबी है। जहां कार्यवाहक के रूप में पसंद वाले जूनियर अफसर बैठाए गए हैं, वहां उनसे वरिष्ठ व मुखिया बनने का इंतजार करने वाले कुंठाग्रस्त नजर आ रहे हैं। कुछ जगह निदेशक के पदों की जिम्मेदारी काडर के बाहर के अफसरों के हवाले हो गई है। इससे संवर्ग में असंतोष है। विभागाध्यक्ष जैसे पदों पर चल रही उठापटक का मातहतों के बीच खराब संदेश जा रहा है।
कृषि निदेशक: विभागीय लाइन में, आईएएस अफसर को प्रभार
कृषि निदेशक के पद से विवेक सिंह अगस्त में सेवानिवृत्त हुए। नए निदेशक के पद पर फैसला विवेक के सेवानिवृत्त होने से पहले ही हो जाना चाहिए। यह पद कृषि संवर्ग के वरिष्ठ अधिकारियों में से भरा जाता है। पात्र लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। शासन ने इस पद का अतिरिक्त प्रभार सचिव कृषि राजशेखर को सौंप दिया। संवर्ग के बाहर के अधिकारी की तैनाती से कृषि विभाग के वरिष्ठ अफसरों में जबर्दस्त असंतोष है। लेकिन, प्रकरण शासन स्तर का होने की वजह से कोई मुंह नहीं खोल पा रहा है।
उद्यान निदेशक: अपर निदेशक देख रहे काम
उद्यान निदेशक के पद से डा. आरके तोमर अगस्त में सेवानिवृत्त हो गए। यह पद भी पदोन्नति का है। डा. तोमर के सेवानिवृत्त होने के बाद से यह पद रिक्त है। शासन ने औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र बस्ती में संयुक्त निदेशक रहे डॉ. अतुल कुमार सिंह को निदेशक उद्यान का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। ये पिछले दिनों उद्यान विभाग में अपर निदेशक के पद पर पदोन्नत हुए हैं।
निदेशक मत्स्य : सितंबर 2021 से अतिरिक्त प्रभार के भरोसे
मत्स्य विभाग के निदेशक का पद भी विभागीय है। यहां भी पदोन्नति से निदेशक की तैनाती होती है। निदेशक मत्स्य के पद से एसके सिंह सितंबर-2021 में सेवानिवृत्त हुए थे। तब से निदेशक मत्स्य के पद पर किसी की नियमित तैनाती नहीं हुई। दूसरी जिम्मेदारियां देख रहे अधिकारी निदेशक मत्स्य का अतिरिक्त प्रभार देखते रहे हैं। वर्तमान में आईएएस अधिकारी प्रशांत शर्मा के पास निदेशक मत्स्य का प्रभार है।
बेसिक शिक्षा- एक वर्ष से नियमित निदेशक का इंतजार
31 अगस्त 2022 को तत्कालीन बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह सेवानिवृत्त हुए थे। उस समय विभाग में अपर निदेशक डा. शुभा सिंह को बेसिक शिक्षा निदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। 16 फरवरी 2023 को शुभा सिंह से निदेशक बेसिक का प्रभार वापस ले लिया गया। यह जिम्मेदारी भी तत्कालीन अपर निदेशक/ प्रभारी निदेशक माध्यमिक शिक्षा डा. महेंद्र देव को दी गई। महेंद्र देव बाद में माध्यमिक शिक्षा के नियमित निदेशक बन गए। मगर, एक वर्ष बीत गए बेसिक शिक्षा जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण महकमे की जिम्मेदारी अतिरिक्त प्रभार के रूप में चल रही है।
एससीईआरटी : सीधे उप निदेशक को कमान
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) भी बेसिक शिक्षा विभाग का महत्वपूर्ण पद है। इस पद पर भी निदेशक स्तर के अधिकारी की तैनाती होती है। 30 जून को तत्कालीन निदेशक अंजना गोयल के सेवानिवृत्त होने के बाद उप निदेशक स्तर के अधिकारी पवन कुमार सचान को यह जिम्मेदारी दे दी गई। उन्हें एससीईआरटी में संयुक्त निदेशक प्रशिक्षण के पद पर तैनाती देते हुए निदेशक का प्रभार दिया गया। इसी तरह साक्षरता निदेशक की जिम्मेदारी संयुक्त निदेशक गणेश कुमार के पास है। विभाग में निदेशक व अपर निदेशक स्तर के अधिकारियों की उपलब्धता के बावजूद जूनियर अफसरों को प्रभार दिए जाने की रवायत पर सवाल उठ रहे हैं।
पशुपालन: यहां भी अतिरिक्त प्रभार
विभाग में निदेशक प्रशासन व विकास सबसे महत्वपूर्ण पद माना जाता है। 31 अगस्त को डा. इंद्रमणि इस पद से सेवानिवृत्त हुए। इनके स्थान पर नए निदेशक की तैनाती होनी है। विभाग ने नए निदेशक की तैनाती के बजाय निदेशक रोग नियंत्रण डा. एके जादौन को निदेशक प्रशासन व विकास का भी अतिरिक्त प्रभार दे दिया।
यहां विभागाध्यक्ष के पदों पर आईएएस अधिकारी की तैनाती का इंतजार
पंचायतीराज- निदेशक पंचायतीराज व स्वच्छ भारत मिशन के पद पर 2009 बैच के आईएएस अधिकारी प्रमोद कुमार उपाध्याय की तैनाती थी। उपाध्याय का अगस्त में सचिव रेरा के पद पर तबादला हो गया। इस पद की जिम्मेदारी अपर निदेशक राज कुमार के पास है।
राज्य पोषण मिशन
निदेशक के पद पर कपिल सिंह की तैनाती थी। इसी वर्ष मई में कपिल का तबादला एसीईओ यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण के पद पर हो गया। तभी से यह पद बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की निदेशक सरनीत कौर ब्रोका के पास अतिरिक्त प्रभार के रूप में है।
निबंधक सहकारिता
आईएएस अधिकारी बीएल मीना जून 2021 में प्रमुख सचिव सहकारिता बने। तभी से उनके पास इस पद का भी अतिरिक्त प्रभार है।
रजिस्ट्रार चिट्स एंड फंड्स
अगस्त-2018 में आईएएस अधिकारी आईपी पांडेय रजिस्ट्रार चिट्स एंड फंड्स के पद से हटे थे। तभी से वित्त विभाग में विशेष सचिव समीर इस पद को अतिरिक्त प्रभार के रूप में देख रहे हैं।
चकबंदी आयुक्त
चकबंदी आयुक्त का पद आईएएस अधिकारी भगेलू राम शास्त्री के सेवानिवृत्त होने के बाद से रिक्त है। दिसंबर 2021 में चकबंदी आयुक्त की अतिरिक्त जिम्मेदारी तत्कालीन राहत आयुक्त पीएन सिंह को सौंपी गई। अब राहत आयुक्त जीएस. नवीन कुमार के पास अतिरिक्त प्रभार है।
मुख्य सचिव का शासनादेश- सभी तरह की पदोन्नतियां 30 तक पूरी हों
मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने 19 जुलाई 2023 को एक शासनादेश जारी किया था। उन्होंने कहा था कि चयन कार्यवाही समय से संपन्न न होने पर पदों को भरने में अनावश्यक विलंब होता है। शासकीय कार्य प्रभावित होते हैं। साथ ही संबंधित कार्मिकों के मनोबल पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। ऐसे में पदोन्नति से भरे जाने वाले रिक्तियों के सापेक्ष चयन की कार्यवाही 30 सितंबर 2023 तक पूरी कर ली जाएं।
यह भी कहा गया था कि विभागाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष से ठीक एक पंक्ति नीचे के ऐसे पदों, जिन्हें मुख्य सचिव की अध्यक्षता में चयन समिति का गठन कर कार्मिक विभाग के जरिए भरा जाना है, तय प्रारूप पर प्रस्ताव 31 जुलाई तक उपलब्ध करा दिया जाए। यह आगाह भी किया था कि यदि 31 जुलाई के बाद और 30 सितंबर के पूर्व प्रस्ताव आए तो उसके लिए संबंधित विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिव को देरी के संबंध में स्थिति स्पष्ट करनी होगी। इसी तरह शासन स्तर या विभागध्यक्ष स्तर से होने वाली पदोन्नतियां भी 30 सितंबर तक पूरा करने को कहा गया था।
25 सितंबर को मुख्यमंत्री बोले-पदोन्नति का लाभ तय समय में मिलना ही चाहिए
समयबद्ध पदोन्नति शासकीय सेवा का हिस्सा है। हर कर्मचारी को नियत समय पर इसका लाभ मिलना ही चाहिए। पदोन्नति के लिए परफार्मेंस को आधार बनाएं। इस वर्ष मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, विभागाध्यक्ष अथवा राज्य लोक सेवा आयोग स्तर पर की जाने वाली पदोन्नति की कार्यवाही प्रत्येक दशा में 30 सितंबर तक पूरी कर ली जाए।
निदेशक के लिए कुछ विभागों को नियमावली में संशोधन की जरूरत: देवेश
अपर मुख्य सचिव, देवेश चतुर्वेदी का कहना है कि कृषि, उद्यान, मत्स्य और पशुपालन विभाग में पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। निदेशक के पद पर तैनाती के लिए कुछ विभागों को अपनी नियमावली में संशोधन करना होगा, क्योंकि अनुभव की शर्त पूरी नहीं हो पा रही है। नियमावली बनाने की दिशा में विभाग काम कर रहे हैं। पंचायतीराज विभाग, राज्य पोषण मिशन, निबंधक, सहकारिता, रजिस्ट्रार चिट्स एंड फंड और चकबंदी आयुक्त के पद का अतिरिक्त चार्ज भी आवश्यकतानुसार दिया जाता है।
बेसिक शिक्षा निदेशक के लिए अभी अधिकारी नहीं हैं। इस पद पर जल्द तैनाती की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। वहीं एससीईआरटी में भी निदेशक पद पर जल्द तैनाती की जाएगी।
-विजय किरन आनंद, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा